Monday, August 22, 2016

ज़िन्दगी अभी बाकि हैं

कुछ बातें थी अधूरी सी, कुछ थी अनकही सी ।
उन अनकही बातों की दास्तान अभी बाकि हैं ॥ 

चल पड़े थे तलाश में कुछ अजनबी मंजिलों की । 
उन अजनबी मंज़िलों के इम्तिहान कई बाकि हैं  ॥ 

बेजान सपनों की  ख्वाहिशों  में टुटा हैं दिल अक्सर । 
पर टूटें हुए इस दिल मैं आरजू अभी बाकि हैं ॥ 

कुदरत की बेवफाई से चाहे हारें हैं ख़्वाब सारे  । 
पर हारें हुए उन ख्वाबों में हौसला अभी बाकि हैं ॥ 

देखीही नही तूने ताकद मेरे इरादों की । 
इन इरादों की असली उड़ान अभी बाकि हैं ॥ 

ऐ ज़िन्दगी,  जरा संभल के खेलना । 
इस खेल में अभी चाल मेरी बाकि हैं ॥ 

5 comments:

  1. Yes..kya khoob likha hai..mere in iradon ki asli udaan abhi baaki hai..surekh...

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  2. Bahut badhiya
    ....
    ऐ ज़िन्दगी, जरा संभल के खेलना ।
    इस खेल में अभी चाल मेरी बाकि हैं ॥

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  3. खरच खूप सुंदर लिहिता तुम्ही।।।।।

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  4. What a wonderful piece of writing. Kudos to you Rupali

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